सम्राट अशोक अध्माम 6 त ॊगय "मोद्धा बायत, 262 ई.ऩू. भैं भहान याजा अशोक का एक मोद्धा था, रेककन भैं कोई साधायण मोद्धा नह ॊ था. भैं द ननमा का सफसे भहान मोद्धा फनने की याह ऩय था! भैं ससपफ एक रड़का था. रेककन सम्राट अशोक ने अऩनी सेना के कई अन्म मोद्धाओॊ के फीच भ झे देखा औय च ना. सम्राट अशोक हय ददन हभाय पौज की कतायों भें से ग जयते थे. वो हभाया ननय ऺण कयते थे. वह अक्सय भ झ से फात कयते थे. आज का ददन कोई फह त अरग नह ॊ था. "त ॊगय," सम्राट अशोक ने भ झे ऊऩय-नीचे देखते ह ए कहा. "त भ ननडय औय साहसी रगते हो. त भ भें एक भहान मोद्धा फनने की मोग्मता है." दूसये म वा मोद्धाओॊ ने भ झे ईर्षमाफ से देखा. भैंने क्मा ककमा था? भैं याज्म का सफसे अच्छा मोद्धा था. वे कबी बी भेय भहानता की फयाफय नह ॊ कय सकते थे. "भैं आऩके सरए ज़रूय रड़ूॊगा, सम्राट," भैंने सम्राट अशोक से कहा. रेककन भ झे ऩता था कक मह सच नह ॊ था. भैं सम्राट अशोक के सरए रड़ाई नह ॊ रड़ता. भैं ख द के गौयव के सरए रड़ता. भेया सफसे फड़ा सऩना था - भगध याज्म भें सफसे...
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Page 1 of 11 भोली "बधाई हो बाबूजी भोली बबबिया का ब्याह तय हो गया", नौकर रमेश ने ये कहते हुए आदशश बाबू को उनकी बबबिया का ररश्ता पक्का होने की बधाई दी। आदशश बाबू सुबह समाचार पत्र पिते हुए हल्की नीींद की झपकी ले रहे थे बक अचानक उस बधाई से आदशश बाबू अचानक से तन्द्रा से बाहर आए और समाचार पत्र को नीचे करके बोले, "अरे रमेश, तुम! गााँव से कब लौिे। गााँव में सब कुशल मींगल तो है?" "बस बाबूजी आपकी और मालबकन की कृपा से सब कुशल मींगल है। आपने तो बताया नहीीं, लेबकन मुझे पता चला अभी दो बदन पहले ही आपने भोली बबबिया का ब्याह तय कर बदया। कैसा पररवार है? लाका कैसा है? लाका करता क्या..." "अरे बस-बस तुमने तो आते ही एक के बाद एक प्रश्न लगा बदए, सााँस तो ले लो" कहते हुए आदशश बाबू ने नौकर रमेश को रोक बदया। आदशश: "भोली बबबिया के प्यारे काकाजी, पररवार बहुत ही अच्चा है। आप पररवार से भी भलीभााँबत पररबचत हो और लाके से भी।" रमेश: "कौन हैं वो लोग, बाबूजी?" आदशश: "यहााँ से आगे चौराहा है न वो पान वाला, उससे आगे जो चौक के सामने मींत्रीजी रहते हैं वो सुभा...